Navratri Day 6- कात्यायनी देवी: श्रद्धा और प्रेम स्वरूप

 नवरात्रि के पावन अवसर पर हम देवी दुर्गा के रूपों की पूजा करते हैं, और हर दिन एक नये रूप का आदर करते हैं। आज, हम मां दुर्गा की नौ रूपों में से एक रूप है कात्यायनी देवी, जो नवरात्रि के पावन अवसर पर पूजी जाती है। यह देवी अपने अद्वितीय स्वरूप और महत्वपूर्ण कथाओं के साथ हमारे जीवन में शक्ति और समृद्धि का प्रतीक है। 

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कात्यायनी देवी का परिचय:


कात्यायनी देवी, नाम से ही प्रकट होता है कि वे कात्यायन ऋषि की पुत्री थीं। अनुसंधान के अनुसार, वे ऋषि कात्यायन की तपस्या और प्रार्थना के फलस्वरूप प्रकट हुईं थीं, और उन्होंने अपने अद्वितीय रूप से विष्णु द्वारका के प्रिय रूप केशव (कृष्ण) को प्राप्त किया था। इसलिए उन्हें 'कात्यायनी' कहा जाता है, जो कात्यायन की पुत्री का अर्थ होता है।


कात्यायनी देवी के रूप:


कात्यायनी देवी का रूप विशेष रूप से नवरात्रि के छठे दिन के अवसर पर पूजा जाता है। उनका रूप है सुंदर और विशाल, और वे एक हाथ में कमंदल और दूसरे हाथ में खडग लिए हुए होती हैं। वे चांद्रमा के समान चमकती हैं और उनके मुख पर हमेशा मुस्कान दिखाई देती है। उनकी मूर्ति के पास एक दिव्य मुखद्वार भी होता है, जो आकर्षण और शांति का प्रतीक होता है।


कात्यायनी देवी की पूजा:


कात्यायनी देवी की पूजा नवरात्रि के छठे दिन की जाती है, और इसका महत्व बहुत अधिक होता है। पूजा के दौरान, भक्त विशेष रूप से विष्णु द्वारका के प्रिय रूप कृष्ण का स्मरण करते हैं और कात्यायनी देवी की कृपा की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। पूजा के बाद, प्रसाद बांटने का परंपरागत तरीका होता है, जिससे भक्त आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।


कात्यायनी देवी: शक्ति और समृद्धि की प्रतीक:


कात्यायनी देवी हमें यह सिखाती है कि जब हम पूरी श्रद्धा और प्रेम से मां दुर्गा की पूजा करते हैं, तो हमें उनकी कृपा मिलती है और हमारे जीवन में शक्ति और समृद्धि आती है। उनके रूप का दर्शन करके हमें यह आत्मविश्वास मिलता है कि हम सभी कठिनाइयों को पार कर सकते हैं और सफलता प्राप्त कर सकते हैं।


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