Navratri Day 7- कालरात्रि देवी: अंधकार की महाशक्ति का रूप

नवरात्रि का महत्व हमारे हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण है, और इस अवसर पर हम नौ देवियों की भक्ति करते हैं, जिन्हें नवरूप में पूजा जाता है। सातवें दिन को नवरात्रि के आखिरी दिन के रूप में मनाते हैं, और इस दिन हम कालरात्रि देवी की पूजा करते हैं। आइए, इस ब्लॉग में हम कालरात्रि देवी के बारे में और उनकी पूजा के महत्व के बारे में जानते हैं।

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कालरात्रि 


कालरात्रि देवी कौन हैं?


कालरात्रि देवी, जिन्हें कालरात्रि माता भी कहते हैं, माँ दुर्गा की सातवीं रूप हैं। उनका नाम "कालरात्रि" दरभंगा क्षेत्र के राजा भंडा के घर के गहनों में रूप में आया था, इसलिए वे "कालरात्रि" कहलाईं।


कालरात्रि देवी का रूप अत्यधिक भयानक होता है, उनके चेहरे पर आभूषणों की बजाय हड्डियों के अभूषण होते हैं, और वे हाथ में खडग और अश्व होते हैं। उनकी चाल भी विशेष रूप से भयानक होती है, लेकिन वे अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए हमेशा तैयार रहती हैं।


कालरात्रि देवी का रूप:


कालरात्रि देवी का रूप अद्वितीय है, वह अपने पर्वती और दुर्गा के रूपों से बिल्कुल अलग दिखती हैं। वे काली भी कहलाती हैं, क्योंकि उनकी काली और भयंकर रंग की त्वचा होती है, और उनके हाथों में डंडा (डंडा भाला) होता है।


कालरात्रि देवी के मुख पर एक महिषासुर का वध करने की गर्जना होती है, और वे अपने भयंकर रूप से दुर्गा माँ की आवश्यकता पर्वती से मिलती हैं। उनके आदिरूप को देवी कालरात्रि कहलाते हैं, और यह दिखाते हैं कि भगवान दुर्गा की आवश्यकता के समय वे कितनी भयंकर और अपरिहार्य हो सकती हैं।


कालरात्रि देवी की पूजा:


कालरात्रि देवी की पूजा नवरात्रि के सातवें दिन को की जाती है, और यह दिन भगवान दुर्गा की आवश्यकता के समय उनकी आपत्ति को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण है। पूजा के समय भक्त अपने घर में कालरात्रि देवी की मूर्ति का पूजन करते हैं, और उनकी आराधना करते हैं, ताकि वे उन्हें अपने दुश्मनों और आपत्तियों से मुक्ति दिला सकें।


कालरात्रि का संदेश:


कालरात्रि देवी के रूप में हमें यह सिखने को मिलता है कि भगवान कभी-कभी अपने भक्तों के लिए भयंकर और अपरिहार्य रूप में आते हैं, लेकिन वे हमारी रक्षा करने के लिए हमें उनके पास रास्ता दिखाते हैं। इसलिए, हमें हमेशा भगवान के प्रति आभारी और विश्वासी रहना चाहिए, चाहे जिस रूप में वे हमारे सामने आएं।


इस नवरात्रि, हम सभी को कालरात्रि देवी की आराधना करके उनके भयंकर रूप का समर्पण करना चाहिए, और उनके आशीर्वाद के साथ अपने जीवन की सभी मुश्किलें और आपत्तियों को पार करने की शक्ति प्राप्त करनी चाहिए। जय माँ कालरात्रि! जय माँ दुर्गा!

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